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कहें धन्यवाद ! छोटे-छोटे शब्द आपके व्यक्तित्व को बड़ा बनाते हैं | अगर आप इन जादुई शब्दों की आदत बचपन से ही अपने बच्चों में डालेंगे...

कहें धन्यवाद !


कहें धन्यवाद !

छोटे-छोटे शब्द आपके व्यक्तित्व को बड़ा बनाते हैं| अगर आप इन जादुई शब्दों की आदत बचपन से ही अपने बच्चों में डालेंगे तो इससे उनके व्यक्तित्व में निखार आएगा और व्यवहार भी अच्छा होगा| हां,इन शब्दों को बच्चों के साथ-साथ आप भी अपने जीवन में उतार लीजिए और बदलाव देखिए|
आपने गौर किया होगा कि जब एक छोटा बच्चा आपके लिए कुछ करता है, तो आप उसे थैंक्यू कहना कभी नहीं भूलती | यह शब्द सुनते ही बच्चों में एक अजीब सा जोश भर जाता है और उन्हें खुश देखकर हमारा मन भी प्रसन्न हो जाता है बच्चे के चेहरे पर आई उस खुशी को देखने के लिए हम बार-बार थैंक्स कहने का बहाना ढूंढते हैं और बच्चा भी उस काम को बार-बार करने के लिए उत्साहित रहता है|

जरा सोचिए ! कुछ तो खास होगा इस शब्द में!
जब हम छोटे बच्चे को शब्दों से जान-पहचान करवाना शुरू करते हैं, तो बहुत से शब्दों को सीखने पर जोर भी देते हैं और इन शब्दों के महत्व के बारे में भी बताते हैं | जब आपका बच्चा शब्दों को बोलना और सीखना शुरू करें, उसी समय उसकी पहचान जादुई शब्द थैंक्स से करवाएं और इसके फायदे भी बताएं|  इस शब्द का प्रयोग कब, कैसे, क्यों और कहां करना है , इसके बारे में भी बच्चे को बताना जरूरी है |  इसका लाभ यह होगा कि जब वह बड़ा हो जाएगा , तब भी वह इस शब्द को भूलेगा नहीं | उसमें शुरू से ही ऐसी आदत डालें कि सामने वाला उसकी कोई भी मदद करता है, तो वह उसका धन्यवाद कहकर अभिवादन करें | वैसे तो बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत ही 'फाइव गोल्डन वर्ड' से की जाती है जिसमें धन्यवाद की भी अपनी जगह है | लेकिन जैसे - जैसे हम बड़े होते हैं , हमारे लिए इसका कोई खास औचित्य नहीं रह जाता या फिर यूं कहें कि धन्यवाद कहना मात्र औपचारिकता बनकर रह जाता है | स्पष्ट शब्दों में कहें , तो धन्यवाद की जरूरत सिर्फ तब होती है , जब व्यक्ति का स्थान खास हो | हममें से कितने लोग ऐसे हैं ,जो अपने घर में काम करने वालों या फिर घर में सामान देने के लिए आने वाले लोगों को शुक्रिया कह कर विदा करते हैं | चौकीदार , जो दरवाजा खोलते हुए आपका अभिवादन करता है, आप उसे धन्यवाद तक कहना मुनासिब नहीं समझते | कहने का मतलब यह है कि दुनिया या लोगों से  परिचय करने से भी पहले हमारा जिस शब्द से सबसे पहले परिचय करवाया जाता है ,  वो महज शब्द भर तो नहीं होगा? तो फिर क्यों हम उसकी अहमियत को धीरे धीरे  नकारना शुरू कर देते हैं | धन्यवाद कोई शब्द नहीं !यह अंदर से महसूस किए  गए आभार का  बाहरी प्रदर्शन है | इसे व्यवहार का हिस्सा बनाए रखना जरूरी है |
कृतज्ञता का भाव
यह तो हम सब जानते हैं कि धन्यवाद और शुक्रिया बोलना शिष्टाचार का एक हिस्सा है , जिसे हम सामने वाले का आभार व्यक्त करने के लिए बोलते हैं | लेकिन क्या आपको पता है कि धन्यवाद बोलकर हम सामने वाले को सेवा के लिए प्रोत्साहन देते हैं जिससे तत्काल उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है | यदि हमने उसकी सेवा के लिए आभार जताकर उसमें सकारात्मकता का भाव भर दिया , तो उसका असर कहीं ना कहीं हमारे अंदर भी आएगा |   दरअसल , मानव शरीर एक तरह का आईना  होता है | आपके सामने वाले के मस्तिष्क में जिस तरह की तरंग उत्पन्न होगी , आपके अंदर भी उसी का प्रतिबिंब बनेगा |
आध्यात्मिक महत्व
भारतीय दर्शन एवं परंपरा के अनुसार, व्यक्ति अनेक प्रकार के ऋण लेकर पैदा होता है | जन्म से लेकर जीवनयापन के दौरान हम पर अनेक लोगों का उपकार होता है | किसी और से मिले चार कंधों के बिना तो जीवनयात्रा भी पूरी नहीं हो सकती |  जब यह जीवन इस तरह दूसरों के उपकार और सहयोग से ही आगे चलता है , तो क्यों नहीं हमें उन सबका शुक्रगुजार होना चाहिए | जब आप किसी को धन्यवाद बोलते हैं , तो इसका मतलब होता है ,  प्रकृति के प्रति आभारी रहना | इस शब्द को हम किसी के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल करते हैं , तो इसका मतलब होता है कि हम उसे उसकी अहमियत या सार्थकता बता रहे हैं | असल में देखा जाए तो इस सृष्टि में कोई भी मनुष्य या जीव-जंतु अपने आप में क्या है ? सब परस्पर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं | इस जीवनचक्र कि यदि एक भी कड़ी टूट जाए , तो सब बिगड़ने लगता है | इसलिए बहुत जरूरी है कि आप अपने जीवन में दूसरों की अहमियत को समझें और उसके लिए आभार व्यक्त करना ना भूलें | यदि कोई आपके लिए कुछ करता है , तो उसे यह जताने का प्रयास करें कि जो कुछ भी सामने वाले ने आपके लिए किया है | आप उसकी कद्र करते हैं | उस व्यक्ति को धन्यवाद देना न भूलें   | धन्यवाद कहने में दो चीजें निहित है | कृतज्ञता , जो कि एक भावना है और उस भावना की अभिव्यक्ति, जो कि एक प्रदर्शन है |
क्यों कहे ?
यदि बीच सड़क पर आपकी गाड़ी खराब हो जाए और कोई मैकेनिक न मिले या फिर आपके घर का नल खराब हो जाए और प्लंबर न मिले, तो आप चाहकर भी अपना दिन बेकार होने से नहीं रोक पाएंगे | पैसे हैं और साधन भी हैं , लेकिन फिर भी आप अपने लिए वो सब काम नहीं कर सकते , क्योंकि उस काम को उसका जानकार ही कर सकता है | इस वक्त आपके लिए उस खास इंसान की अहमियत कितनी बढ़ जाती है, लेकिन वही जब आपको सेवा देकर जाता है , तो आप पैसे देकर अपना फर्ज पूरा कर लेते हैं | इस तरह दिनभर में ना जाने कितने लोग प्रत्यक्ष या  परोक्ष रूप से हमारे लिए काम करते हैं , हमें इसका अहसास तक नहीं होता | क्या आपने कभी सोचा है कि यदि रोजमर्रा के जीवन में सफाई कर्मचारी , घर में काम करने वाला , वॉचमैन , रिक्शावाला , वेटर , पुलिस , टीचर , डॉक्टर आदि अपना काम न करें , तो आपकी जिंदगी में क्या - क्या समस्या आ सकती है? तो क्यों न हमें इनके प्रति आभारी होना चाहिए | इनको धन्यवाद कहना तो बनता है |
शोध ने क्या कहा ?
 यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया का एक शोध कहता है कि धन्यवाद बोलने के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं | शोध में कहा गया कि लोगों का  आभार जताने वाले व्यक्ति को अच्छी नींद आती है और उनका इम्यून भी मजबूत होता है | रिसर्च के अनुसार , यदि हम रोजाना के जीवन में आभार व्यक्त करने की आदत अपना लें , तो इससे ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है ,  अवसाद और चिंता से छुटकारा मिलता है , व्यक्तित्व विकास होता है और गलत आदत और गलत व्यवहार में कमी लाई जा सकती है | किसी के प्रति कृतज्ञता का भाव इंसान को जिम्मेदार बनाता है | जब हम किसी को उसके काम के लिए शुक्रिया कहते हैं , तो इससे हमारे व्यवहार में एक तरह का लचीलापन आने लगता है | वही , यूएसए की यूएसए की केंट स्टेट यूनिवर्सिटी की मानें , तो धन्यवाद लिखकर व्यक्त करने से भी फायदा मिलता है ऐसा करने वाले लोग ज्यादा खुश मिजाज होते हैं तथा लोगों के साथ उनके रिश्ते भी मजबूत बने रहते हैं |
शब्द एक , लाभ अनेक
 दरअसल थैंक्स , आभार या धन्यवाद जैसे शब्द भले ही किसी और के प्रति कृतज्ञता जताने के लिए प्रयोग किए जाते हैं , लेकिन यह शब्द कहीं ना कहीं आपके व्यक्तित्व को भी  उभरते हैं | धन्यवाद देना एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमारे व्यवहार के साथ-साथ हमारे अवचेतन मन पर भी असर करती है | आभार व्यक्त करने वाले इंसान अपेक्षाकृत ज्यादा खुशमिजाज होते हैं और उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल होती है |  मार्केटिंग या सेल्स के लोगों को विशेष - तौर पर इसके लिए तैयार करने के पीछे भी यही कारण है कि शुक्रिया बोलने से उनका गुडविल बनता है और लोग उनको सुनने के लिए आकर्षित होते हैं |  लोगों को यह बताना कि आप उनके आभारी हैं , केवल एक अच्छी बात या अच्छी आदत नहीं है अच्छी आदत ही नहीं है | यह दूसरे व्यक्ति से एक प्रकार का भावनात्मक संपर्क है ,  जिसकी आवश्यकता हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पड़ती ही है | लोग यह जानना चाहते हैं कि जो वे कर रहे हैं , उस पर ध्यान दिया जाता है और उसकी सराहना होती है | धन्यवाद मिलने से सामने वाला और दोगुने आत्मबल से उस काम को करने का प्रयास करता है | जब आप किसी को धन्यवाद बोलते हैं , तो सामने वाले की नजर में आपकी इज्जत भी बढ़ती है और वह आपके व्यवहार से प्रभावित होकर , आगे भी आपकी मदद करने को तैयार रहता है |

भगवान  के प्रति आभार
 वेदों , पुराणों और शास्त्रों में धन्यवाद के बारे में बहुत ही विस्तार से बताया गया है | हम मानते हैं कि भगवान सर्वशक्तिमान हैं ,  जिनकी कृपा से ही यह संसार बना है और चल रहा है | हम सब खुद को परब्रह्म के प्रति आभारी मानते हैं दरअसल,  भगवान की भक्ति , पूजा , आराधना भी उन्हें धन्यवाद करने का ही एक रास्ता है | दूसरे के प्रति सम्मान की भावना लाने के लिए खुद को प्रेरित करना जरूरी है | एक बार यदि आपके अंदर आभार प्रकट करने की भावना विकसित हो गई, तो फिर वह आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाएगा और आपकी जिंदगी  खुशहाल रहेगी | कृतज्ञता के अभाव के कारण हम चीजों पर अपना अधिकार मानकर बैठ जाते हैं | संतोष का अभाव तथा अनवरत और पाने की लालसा हमें कृतज्ञ होने से रोकती है कृतज्ञता ज्ञापन से पहले हम अक्सर कर्म या कृपा के परिणामों के उद्घाटित होने तक के लिए प्रतीक्षा पर बल देते हैं | यह विश्वास और आस्था की एक कमी का संकेत देता है और हमें उसी रूप में वापस मिलता है | कृतज्ञता हमें ध्यान के लाभों को समझाने में एक तरह से हमारी मदद करती है |

छोटे से करें प्रारंभ
धन्यवाद देने के लिए किसी विशेष अवसर की जरूरत नहीं है | रात के खाने की मेज पर भी आप धन्यवाद कर सकती हैं | घर पर बच्चे को अगर आपने कोई काम दिया है , तो उसे इसके लिए धन्यवाद कह सकती हैं | ऐसी छोटी-छोटी चीजों के लिए भी धन्यवाद कहिए , जिन्हें आप उनका काम या अपना अधिकार मानती हैं |  जैसे आपको तब भी धन्यवाद कहना चाहिए , जब किसी रेस्त्रां में कोई वेटर आपके खाली गिलास में पानी भर देता है | हालांकि , देखा जाए तो तकनीकी रूप से यह उस वेटर का काम ही है , मगर इससे उसके द्वारा किए गए काम की महत्ता तो कम नहीं हो जाती है | आपको उन लोगों से धन्यवाद बोलते रहना चाहिए , जो आपके जीवन को जीने योग्य बनाते हैं | साथ ही अपना आभार व्यक्त करने का अभ्यास करते रहना चाहिए | मनोविज्ञान के अनुसार, एक व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार की परेशानियों से जूझता है, लेकिन इस बीच होने वाली सकारात्मक चीजों से उसे एक नई ऊर्जा मिलती है | धन्यवाद भी उन्हीं में से एक है जब आप किसी को धन्यवाद बोलते हैं या कोई आपको धन्यवाद बोलता है , तो दोनों के अंदर सकारात्मकता का भाव उत्पन्न होता है | धन्यवाद बोलने से आप दूसरे के द्वारा किए गए कार्यों के लिए उसका आभार व्यक्त करने के साथ ही उसका सम्मान भी करते हैं | इसका प्रभाव दूसरे के कार्य पर भी पड़ता हैं| आपके धन्यवाद कि चाह में वह अपने कार्य को ज्यादा गंभीरता और उत्साह के साथ करने का प्रयास करता है |

जीवन को मधुर बनाने के लिए धन्यवाद लिखने का अभ्यास कीजिए|  केंट स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार जो लोग आभार और धन्यवाद जैसे शब्दों को लिखने का अभ्यास करते हैं , वे अधिक खुश रहते हैं| परिवार और दोस्तों के साथ उनके रिश्ते भी मधुर होते हैं| इसलिए अगर आप धन्यवाद जैसे शब्दों की अहमियत को बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं तो नियमित रूप से 15:20 मिनट तक धन्यवाद लिखने का अभ्यास जरूर करें| उन लोगों से भी धन्यवाद कहिए, जिन्हें मालूम है कि आप उनके कृत्यों के लिए आभारी हैं जैसे कि आपके माता-पिता , दादा-दादी या मित्र | आप अपने करीबी लोगों को धन्यवाद कहना जरूरी नहीं समझते, क्योंकि आप समझते हैं कि उनको तो मालूम ही है कि आप उनके आभारी हैं| लेकिन इन लोगों को भी धन्यवाद जरूर कहना चाहिए| इससे उन्हें महसूस होता है कि आप उनके किए गए कामों की इज्जत करते हैं और उन्हें आभारी मानते हैं|

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